स्थायी समिति से पहले AAP को झटका, 15 पार्षदों ने 'तीसरा मोर्चा' बनाकर बदली MCD की तस्वीर

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम के 12 वार्ड कमेटी और दो स्थाई समिति सदस्यों के चुनाव के लिए दो जून की तारीख तय हुई है. यह तारीख निगम में पिछले महीने तक सत्ता में रही आम आदमी पार्टी के लिए अहम है. दरअसल, आम आदमी पार्टी के 15 पार्षदों के द्वारा पार्टी छोड़कर अलग इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी बनाने से आम आदमी पार्टी की मुश्किलें अब बढ़ना तय हैं. जानकारों की मानें तो दो जून को होने वाले वार्ड कमेटियों के जोन अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में आम आदमी पार्टी अपनी सत्ता वाले 5 में से तीन जोन में सत्ता गंवा सकती है. क्योंकि आम आदमी पार्टी छोड़ने वाले 15 पार्षदों में से अधिकांश पार्षद उन तीन जोन से संबंधित हैं जिनमें आम आदमी पार्टी अल्पमत में आ गई है.
वहीं, अब करोल बाग जोन और सिटी एसपी जोन में ही आम आदमी पार्टी के पास बहुमत बचा है. ऐसे में पिछले वर्ष 12 में से 7 वार्ड कमेटी में जीत दर्ज करने वाली भाजपा इस बार 10 वार्ड कमेटी में चुनाव जीतने की स्थिति में पहुंच गई है. इसी तरह स्थाई समिति सदस्य की दो सीटों के लिए भी अब भाजपा का दावा मजबूत नजर आ रहा है. आम आदमी पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि कौन-कौन से जोन में तीसरा मोर्चा बनने से आम आदमी पार्टी को नुकसान होने जा रहा है. आईए जानते हैं सभी 12 वार्ड कमेटियों के मौजूदा चुनावी समीकरण के बारे में.
स्थाई समिति के चुनाव का समीकरण:
स्थायी समिति के 18 में से अभी तक 15 सदस्य पदों पर निर्वाचन हो चुका है. इसमें आप के पास छह सदस्य थे और 9 सदस्य भाजपा के हैं. चूंकि, आप के दो स्थायी समिति के सदस्य वार्ड कमेटियों से निर्वाचित होकर आने वाले थे, लेकिन अब आप के 15 पार्षदों के पार्टी छोड़ने और तीसरा मोर्चा बनने से वहां पर भी आप की दावेदारी कमजोर हो गई है. अब आम आदमी पार्टी के पास केवल निगम में विपक्ष में रहने के अलावा और कोई विकल्प कुछ नहीं बचा है. 12 वार्ड कमेटियों में आप दो ही वार्ड कमेटी में चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन बनाने की स्थिति में है. बाकि दस कमेटियों में भाजपा या तो बहुमत के पार पहुंच गई है या बहुमत के करीब पहुंच गई है. जब चुनाव होंगे तो तीसरे मोर्चे के पार्षदों की भूमिका अहम होगी. क्योंकि जिसके समर्थन में यह वोट करेंगे उस दल का ही पार्षद वार्ड कमेटियों में चेयरमैन बन जाएगा. हालांकि, माना जा रहा है कि बगावत करके आप से बाहर हुए पार्षद कम से कम फिलहाल आप का समर्थन नहीं करेंगे.
आप में टूट से बदल गया कमेटियों का चुनावी समीकरण:
आम आदमी पार्टी में टूट के बाद अगर 12 जोन कमेटी में बदले हुए चुनावी समीकरणों की बात करें तो प्रमुख वार्ड कमेटियों में तीसरे मोर्चे के गठन से आप को नुकसान होगा. उसमें दक्षिणी जोन, पश्चिमी जोन और रोहिणी जोन शामिल है. अब आम आदमी पार्टी के पास मात्र करोल बाग और सिटी सदर पहाड़गंज जोन ही सत्ता के लिए बचेगा.
आप के जो 15 पार्षद तीसरे मोर्चे में गए हैं, उसमें दक्षिणी जोन के तीन, पश्चिमी जोन के चार, रोहिणी जोन के एक, नरेला जोन में दो, शाहदरा साउथ जोन में एक और सिविल लाइंस जोन से एक पार्षद शामिल हैं. इसमें से दक्षिणी जोन में जहां कुल 23 पार्षद हैं जिसमें भाजपा के पास छह तो आप के पास अब 10 ही पार्षद बचे हैं. एक पार्षद कांग्रेस का है तो यहां पर तीन पार्षद अब तीसरे मोर्चे के हो गए हैं. अगर, तीसरे मोर्चे के पार्षद वाकआउट करते हैं तो भाजपा को तीन और पार्षदों की जरुरत होगी. पिछले चुनाव में इस जोन के आप के पांच पार्षदों ने बगावत करते हुए भाजपा के प्रत्याशी को वोट दिया था. ऐसे में यहां से भाजपा न केवल चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का चुनाव जीत सकती है, बल्कि स्थायी समिति के लिए रिक्त पड़े पद को भी जीत सकती है. हीरेंद्र राठौर, राजनीतिक विश्लेषक
वहीं, पश्चिमी जोन की बात करें तो यहां पर कुल 25 पार्षद हैं. इसमें से आप के पास अब 11 पार्षद और भाजपा के पास आठ पार्षद हैं. जबकि चार पार्षद तीसरे मोर्चा के हैं. अगर, तीसरे मोर्चा के पार्षद भाजपा का समर्थन करते हैं तो भाजपा यहां पर चुनाव जीत जाएगी. वहीं, रोहिणी जोन में कुल 23 पार्षद हैं. अब आप के पास 11 ही पार्षद बचे हैं. जबकि भाजपा के पास 9 हैं. एक पार्षद कांग्रेस से है और एक पार्षद तीसरे मोर्चे से हैं. अगर दो पार्षद भाजपा को समर्थन करते हैं तो यहां भी भाजपा चुनाव जीत जाएगी, क्योंकि जिन जोन में भाजपा बहुमत के करीब है वहां पर कई पार्षद उसके संपर्क में हैं.