बीजिंग | 25 मार्च को चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी ने भारत की कार्य यात्रा की और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ वार्ता की। वांग यी ने कहा कि चीन और भारत 280 करोड़ आबादी वाले सबसे बड़े विकासशील देशों व नवोदित अर्थव्यवस्थाओं के प्रतिनिधि हैं और वैश्विक बहुध्रवीककरण, आर्थिक भूमंडलीकरण, सभ्यताओं की विविधता, अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकतांत्रिकरण बढ़ाने वाली दो मजबूत शक्ति है। वर्तमान परिस्थिति में दोनों को संपर्क व समंव्य मजबूत कर अपने-अपने न्यायोचित हितों और विकासशील देशों के समान हितों की सुरक्षा करनी और विश्व व क्षेत्र की शांति व स्थिरता के लिए अपना-अपना योगदान देना चाहिए।

एस. जयशंकर ने कहा कि भारत चीन के साथ संबंधों को महत्व देता है। भारत चीन के साथ संपर्क व पारस्परिक विश्वास मजबूत करने को तैयार है, ताकि द्विपक्षीय संबंध यथाशीघ्र ही नीचे स्तर से ऊपर उठ सकेंगे और व्यावहारिक सहयोग को निरंतर बढ़ावा मिल सकेगा।

वांग यी ने कहा कि चीन और भारत को सीमा सवाल को द्विपक्षीय संबंधों के उचित स्थान पर रखना चाहिए और सीमा सवाल से द्विपक्षीय संबंध परिभाषित नहीं करना और द्विपक्षीय संबंध के समग्र विकास पर प्रभाव नहीं डालना चाहिए। चीन और भारत को पारस्परिक घिसाव व बहिष्कार के बजाये एक दूसरे की मदद व समर्थन करना चाहिए।

एस. जयशंकर ने कहा कि पिछले साल से दोनों पक्षों ने प्रभावी कूटनीतिक व सैन्य संपर्क बनाए रखा। दोनों देशों की सेनाओं ने सीमा के पश्चिमी सेक्टर के अधिकांश क्षेत्रों में अलग होना पूरा किया है। बाकी क्षेत्रों में अलगाव यथाशीघ्र ही साकार करना चाहिए।

दोनों पक्षों ने आर्थिक व व्यापारिक सहयोग, लोगों की आवाजाही, सीमा पार नदियों की सूचनाओं के आदान-प्रदान पर संवाद किया। दोनों पक्षों ने कोविड महामारी ,यूक्रेन, अफगानिस्तान तथा बहुपक्षीय मामलों पर रायों का आदान-प्रदान किया। दोनों के विचार में बहुपक्षवाद पर कायम रहकर यूएन चार्टर व अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन कर वार्ता से शांतिपूर्ण ढंग से वाद-विवाद का समाधान करना चाहिए। दोनों ने एकतरफा प्रतिबंध से वैश्विक अर्थव्यवस्था और सप्लाई चेन की सुरक्षा पर बड़ी चिंता जतायी।