न्यूयॉर्क । यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है। इसी कड़ी में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने भी रूस की इस कार्रवाई की निंदा की है। उन्होंने कहा कि रूस की ओर से अपने परमाणु दस्ते को अलर्ट पर रखना 'रोंगटे खड़े कर देने वाला' घटनाक्रम है। वहीं बाइडेन प्रशासन ने रूसी संस्थाओं और उनके केंद्रीय बैंकों के खिलाफ सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। इस बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि रूसी कार्रवाई यूक्रेन की ओर से उकसावे का नतीजा है। गुतारेस ने यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक आपात एवं विशेष सत्र में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि बढ़ती हिंसा से बच्चों सहित आम आदमी की हो रही मौतें बिल्कुल ही अस्वीकार्य हैं। 'अब बस बहुत हो गया। यूक्रेन में चल रही लड़ाई को अब रुकना होगा।' गुतारेस ने रूस से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कोई भी चीज परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को सही नहीं ठहरा सकती। 
पहले दिन से संयुक्त राष्ट्र रूस की कड़े शब्दों में आलोचना कर रहा है। कई बड़े प्राइवेट बैंक और इक्विटी फर्म भी मास्को के खिलाफ एक वैश्विक विरोध का हिस्सा बन रहे हैं। यूरोपीय संघ ने भी रूस पर 'अब तक के सबसे सख्त' प्रतिबंध लगाए हैं। एक ओर जब पूरी दुनिया रूस पर प्रतिबंध लगा रही है तब चीन ने उससे गेहूं खरीद पर लगे सभी प्रतिबंधों को खत्म कर दिया है। रूस के पुराने दोस्त चीन का मानना है कि डोनबास क्षेत्र में रूस के लोगों पर अत्याचार और नाटो और यूरोपीय संघ की ओर से सुरक्षा चिंताओं सहित कई लंबे समय से चली आ रहीं शिकायतों ने रूस को ट्रिगर किया। यूरोपीय संघ और नॉर्डिक देशों ने सैन्य कार्रवाई चुनने के लिए मॉस्को की आलोचना की है। यहां तक कि स्विट्जरलैंड ने भी रूस के खिलाफ प्रतिबंधों में शामिल होने के लिए अपनी ऐतिहासिक रूप से 'तटस्थ' रवैये को छोड़ दिया है। चीन एकमात्र ऐसा देश है जिसने रूस को समर्थन की पेशकश है। चीन ने तनाव को कम करने और वार्ता का आग्रह करते हुए कहा कि 'रूस और सभी देशों की वैध सुरक्षा चिंताओं' को मान्यता दी जानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में चीनी दूत ने नाटो की शीत युद्ध मानसिकता की भी आलोचना की है। रूसी हमले के बीच यूक्रेन ने यूरोपीय संघ में शामिल होने के लिए आवेदन दे दिया है।