भोपाल | मध्य प्रदेश में अर्थव्यवस्था से लेकर राजनीति की दिशा तक तय करने में जनजातीय समाज की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रदेश में देश की सर्वाधिक जनजातीय आबादी निवास करती है। यहां कुल जनसंख्या का पांचवां हिस्सा जनजातियों का है। 20 जिलों के 89 विकासखंड आदिवासी बहुल है। राज्य विधानसभा की 47 सीटें और लोकसभा की छह सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। 47 विधानसभा क्षेत्रों के अलावा करीब 35 सीटें ऐसी हैं, जिनमें आदिवासी मतदाताओं की भूमिका निर्णायक है। इसे देखते हुए मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान हरसंभव प्रयास कर रही है ताकि मध्यप्रदेश के आदिवासियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके।

प्रदेश में समरसता के साथ पेसा कानून को प्रभावी क्रियान्वयन भी प्रारंभ कर दिया गया है। प्रदेश भर में जनजातीय विद्यार्थियों के लिए आश्रम, छात्रावास, शालाएँ, कन्या शिक्षा परिसर संचालित किए जा रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रशिक्षण के लिए अनेक तरह की प्रोत्साहन योजना संचालित हो रही हैं। स्व-रोजगार  हेतु  कौशल विकास के केन्द्र भी संचालित किये जा रहे हैं। जनजातीय विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी राज्य सरकार द्वारा छात्रवृत्ति दी जाती है। अलग-अलग जिलों में बालक-बालिकाओं के लिए क्रीड़ा परिसर भी बनाए गए हैं। प्रदेश में अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियम 1972 को अब और प्रभावी बनाया गया है। साहूकारों द्वारा वसूले जाने वाले ब्याज की दरों को भी अब नियंत्रित किया गया है। निर्धारित दर से अधिक ब्याज वसूलने वाले साहूकारों को कड़ा दण्ड दिया जा रहा है।

जनजातीय लोगों ने  प्रदेश में जंगलों को बचाने में बड़ी भूमिका निभाई है। पेसा एक्ट ग्राम सभा को सामुदायिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार देता है। वन भी सामुदायिक संसाधन है। इस कारण पेसा एक्ट वनों की सुरक्षा और संरक्षण का भी अधिकार ग्राम सभा को देता है। राज्य सरकार इस एक्ट के अंतर्गत सामुदायिक वन प्रबंधन समितियों के गठन की जिम्मेदारी ग्राम सभा दी है।  राज्य सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था की पांचवीं अनुसूची के क्रियान्वयन में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए पेसा ग्राम सभाओं के का गठन किया। ग्राम सभाएं अपने स्थानीय विकास के लिये स्वयं योजनाएँ बना रही हैं और वनोपज के अधिकार मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति और बेहतर हुई है। पेसा ग्राम पंचायतों में गैर जनजातीय वर्ग के अधिकारों को भी संरक्षित रखा जा रहा है ।

मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियम 1972 को अब और प्रभावी बनाया गया है। जनजातीय क्षेत्रों में साहूकारी का धंधा करने वालों के लिए पंजीयन शुल्क में वृद्धि की गई है। साहूकारों द्वारा वसूले जाने वाले ब्याज की दरों को भी अब नियंत्रित किया गया है। निर्धारित दर से अधिक ब्याज वसूलने वाले साहूकारों को कड़ा दण्ड दिया जाएगा।