नई दिल्ली । आज के तनावपूर्ण जीवन में शशांकासन एक प्रभावी योगासन साबित हो रहा है। शशांकासन करना बहुत सरल है और इसे शुरुआती तथा अनुभवी दोनों योगी आराम से कर सकते हैं। यह आसन रीढ़ की लचक बढ़ाने के साथ-साथ मन को शांत करने और तनाव कम करने में मदद करता है।
इसके लिए आरामदायक कपड़े पहनना जरूरी है और खाली पेट या भोजन के 3-4 घंटे बाद अभ्यास करना उत्तम रहता है। शुरुआत वज्रासन में बैठकर करें, जहाँ घुटने मोड़े हुए हों और नितंब एड़ियों पर टिके हों। रीढ़ को सीधा रखकर दोनों हाथ घुटनों पर रखें और कंधों को आराम दें। गहरी सांस लें और हाथों को धीरे-धीरे सिर के ऊपर उठाएं, हथेलियां एक-दूसरे की ओर रहें। सांस छोड़ते हुए शरीर को आगे झुकाएं और माथे को जमीन से स्पर्श कराने का प्रयास करें। इस दौरान हाथ जमीन पर फैलाएं, हथेलियां नीचे की ओर हों और पेट जांघों को छुए। यह मुद्रा खरगोश जैसी आकृति बनाती है, इसलिए इसे खरगोश मुद्रा कहा जाता है।
 इस स्थिति में 20-30 सेकंड या अपनी सुविधा अनुसार अधिक समय तक रहें, सांस को गहरा और सामान्य बनाए रखें। धीरे-धीरे शरीर को ऊपर उठाएं और वापस वज्रासन में लौटें। इसे दो-तीन बार दोहराना लाभकारी होता है। शशांकासन रीढ़ को मजबूत और लचीला बनाता है, जिससे पीठ दर्द में आराम मिलता है। माथे को जमीन से लगाना मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ाता है, जो तनाव और चिंता को कम करता है। पेट पर दबाव पाचन तंत्र को सुधारता है और कब्ज में राहत देता है। यह आसन ध्यान और एकाग्रता बढ़ाने में भी मददगार है। वज्रासन की स्थिति में बैठने से घुटनों और टखनों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। साथ ही, यह पिट्यूटरी और पाइनियल ग्रंथियों को सक्रिय करता है, जो हार्मोनल संतुलन में सहायक हैं।
गर्भवती महिलाएं, घुटनों या पीठ में दर्द वाले लोग, उच्च रक्तचाप या चक्कर आने की समस्या वाले लोग बिना विशेषज्ञ सलाह के इस आसन का अभ्यास न करें। सुबह खाली पेट शशांकासन करना सबसे फायदेमंद होता है। नियमित अभ्यास से ही इसके सम्पूर्ण लाभ मिलते हैं, इसलिए इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। बता दें कि योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन भी प्रदान करता है।