त्यौहारों के मद्देनजर सदर बाजार में भीड़ और भगदड़ का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस और व्यापारी मामले को संभालने में जुटे हैं। दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (कानून- व्यवस्था) रविंद्र यादव और अन्य अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के बाद समस्या के समाधान की कोशिश की गई है।

इसमें पुलिस ने व्यापारियों के साथ मिलकर बाजार का रूट प्लान तैयार किया है। फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेड्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश यादव ने बताया कि भीड़ नियंत्रण व सुरक्षा व्यवस्था के लिए स्पेशल फोर्स तैनात कर दी गई है। आपराधिक व्यक्तियों की निगरानी के लिए 12 टूटी चौक पर विशेष पुलिस वाहन की तैनाती की गई है। 

उन्होंने बताया कि सदर बाजार का रोड मैप जारी किया गया है। इसमें पांच जगह पर बैरिकेडिंग पुलिस द्वारा करने पर सहमति बनी है। इसका उद्देश्य है कि अनधिकृत वाहनों का प्रवेश बाजार में न हो। साथ ही वाहन सड़क पर न खड़े हो जिससे जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उन्होंने बताया कि स्थानीय पुलिस थाना प्रभारी और बीट ऑफिसर लगातार इस मामले की निगरानी करेंगे।

उन्होंने बताया बाजार में केवल वहीं वाहन जाएगा जो अंदर दुकानदारों का सामान लाया है। दुकानदार भी सड़क पर वाहन ज्यादा देर तक खड़ा नहीं कर सकेंगे। साथ ही कोई भी खाली वाहन व रिक्शा बाजार में प्रवेश नहीं कर पाएगा। केवल बुजुर्ग और महिलाओं को रिक्शा पर अंदर तक बैठकर जाने की इजाजत होगी। 

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर अतिक्रमणकारियों ने पटरियां लगाकर रोड को बाजार बना दिया है। यहां खाने पीने से लेकर कपड़े, जूते, चप्पल, घड़ियां, मोबाइल एक्सेसरीज तक सब कुछ बेचा जा रहा है। अजमेरी गेट की तरफ चल रही इन पटरियों और ई-रिक्शा चालकों के चलते वाहन चालकों को दिनभर परेशानी झेलनी पड़ती है।

अतिक्रमणकारियों की नगर निगम और पुलिस प्रशासन से सांठगांठ के चलते यह लोग जहां इच्छा वहीं पटरी लगाकर सामान बेचने लगते हैं। इन अतिक्रमकारियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर बीच बीच में खानापूर्ति होती है।

पिछले महीने ही नगर निगम ने सख्ती दिखाते हुए छह-सात दिन के लिए इन पटरियों को साफ करा दिया था, उसके बाद फिर से यहां पटरियां सजने लगीं। इसके अलावा नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन या रेलवे स्टेशन के बाहर अवैध तरीके से ई-रिक्शा का स्टैंड बनाया हुआ है और यात्रियों को अपने रिक्शा में बैठाने ही होड़ में चालक आपस में ही झगड़ते रहते हैं।

अवैध तरीके से इन ई-रिक्शा के खड़े होने से रोड पर गाड़ियां फंसी रहती हैं और यातायात पुलिसकर्मी इन रिक्शा चालकों पर कार्रवाई करने के बजाय मूकदर्शक बने रहते हैं। दिन भर जाम की स्थिति बनने रहने से प्रदूषण भी बढ़ रहा है।

अजमेरी गेट की तरफ रेलवे स्टेशन के बाहर पटरी लगाने वाले बताते हैं कि उनका नगर निगम और पुलिस अधिकारियों के लिए महीना बंधा है। उन्होंने बताया कि वह हजार रुपये से लेकर दो हजार रुपये महीना नगर निगम व पुलिस अधिकारियों को देते हैं।

जब कभी सख्ती होती है या कमेटी वाले आते हैं तो पटरियों को हटा दिया जाता है, जिसकी जानकारी उन्हें पहले ही मिल जाती है। कुछ पटरीवालों ने तो यह भी बताया कि पहले उनके पिता यहां पटरी लगाते थे और अब हमने इस काम को संभाल लिया है।

ई-रिक्शा चालकों की दबंगई से लोग परेशान अजमेरी गेट स्थित ओर नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर चार से बाहर निकलते ही सड़क पर ई-रिक्शा की लंबी कतारें देखने को मिलती हैं। लाइन लगाकर इन ई-रिक्शा के खड़ा होने से पैदल चलनेवालों तक के लिए जगह नहीं रहती है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस रोड पर वाहन चालकों का क्या हाल होता होगा। दिनभर यहां वाहन चालक जाम से जूझते रहते हैं।

जब भी निगम अतिक्रमणरोधी अभियान चलाता है, तो स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी दे देता है। एक बार अतिक्रमण हट गया है तो अब पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह पुन: अतिक्रमण न होने दें। हम भी चाहते हैं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन जो कि देश का बड़ा स्टेशन है उसका बाहरी इलाका स्वच्छ और सुंदर दिखे।