सनातन धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत का बेहद महत्व होता है. भगवान भोलेनाथ को समर्पित प्रदोष व्रत 20 मई सोमवार को रखा जाएगा. राजधानी रायपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि हर माह में दो एकादशी व्रत पड़ते हैं. प्रदोष व्रत एकादशी के ठीक दूसरे या तीसरे दिन यानी त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है. प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. वैसे तो हर माह प्रदोष व्रत रखा जाता है और अलग-अलग दिन पड़ने वाले व्रत का नाम भी अलग होता है. अगर रविवार को प्रदोष व्रत पड़ता है तो उसे रवि प्रदोष सोमवार को पड़े तो सोम प्रदोष कहा जाता है. शास्त्रों में इसका महत्व भी अलग बताया गया है.

इस बार एकादशी रविवार को और ठीक दूसरे दिन द्वादशी युक्त त्रयोदशी तिथि पड़ रही है जिसे सोम प्रदोष के नाम से जाना जाता है. सोम प्रदोष का पड़ना अपने आप में बहुत ही शुभ संयोग और फलदायक होता है. सोमवार का व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है और प्रदोष व्रत भी भगवान भोलेनाथ के लिए ही किया जाता है इसलिए दिन और तिथि के मद्देनजर यह व्रत रखते हैं तो निश्चित ही भगवान भोलेनाथ से शुभ फल प्राप्त हो सकता है. बहुत लंबे समय के बाद ऐसा संयोग आया है कि सोमवार को प्रदोष व्रत पड़ने जा रहा है. यह व्रत हर व्यक्ति को अपने और अपने परिवार के सुख समृद्धि के लिए यह व्रत करना चाहिए.

भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत में प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने आगे बताया कि इस व्रत को करने लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए फिर संकल्प के अनुसार भगवान भोलेनाथ को यथा शक्ति जलाभिषेक करें, शाम के वक्त गोधूलि बेला यानी प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ के निमित्त दीपदान करना चाहिए. प्रदोष काल को लेकर शास्त्रों में बताया गया है कि इस समय भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत में प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं और इस समय जो दीपदान की जाती है वह सीधे उन्हें प्राप्त होती है और हमें मनोवांछित फल प्राप्त होता है.