नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अर्थव्यवस्था पर अपनी रिपोर्ट चालू वित्त वर्ष के दौरान रीपो दर में कटौती की उम्मीदें खत्म ही कर दी हैं। एक रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति इस वित्त वर्ष की दूसरी छहमाही में चार फीसदी के अपने तय लक्ष्य की ओर जा सकती है और यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक 2025-26 में चार फीसदी के करीब नहीं पहुंचती।
यह रिपोर्ट मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने तैयार की है। पिछले साल अधिक होने के कारण इस साल जुलाई और अगस्त में मुद्रास्फीति के आंकड़े नीचे आ सकते हैं लेकिन सितंबर में वह एक बार फिर चढ़ेंगे। रिपोर्ट कहती है कि अप्रैल 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति में मामूली गिरावट हमारे उस अनुमान को सही साबित करती है कि मुद्रास्फीति उतार-चढ़ाव के साथ चार प्रतिशत के लक्ष्य की ओर बढ़ेगी। ये केंद्रीय बैंक के विचार नहीं हैं। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। उसे लगता है कि पहली तिमाही में यह 4.9 फीसदी, दूसरी तिमाही में 3.8 फीसदी, तीसरी में 4.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.5 फीसदी रह सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्जी, अनाज, दलहन, मांस और मछली के दाम ज्यादा होने से खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति निकट भविष्य में तेजी दिखाते हुए पाच् प्रतिशत के इर्द-गिर्द रह सकती है। अप्रैल में मौद्रिक नीति की समीक्षा में अनुमान लगाया गया था कि ईंधन के दाम में कमी और मुख्य मुद्रास्फीति एकदम नीचे जाने के बावजूद खुदरा मुद्रास्फीति तेज ही रहेगी। खुदरा मुद्रास्फीति इस साल मार्च में 4.9 फीसदी थी और अप्रैल में मामूली कमी के साथ 4.8 फीसदी रही। रिजर्व बैंक की छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर में 250 अंक का इजाफा हुआ लेकिन पिछले साल अप्रैल से उसने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।
अप्रैल में मुख्य मुद्रास्फीति साल भर पहले के मुकाबले घटकर 3.2 फीसदी रह गई, जो इसका सबसे कम आंकड़ा है। मार्च में यह 3.3 फीसदी थी। केंद्रीय बैंक चाहता है कि मुद्रास्फीति चार फीसदी के लक्ष्य पर पहुंचे और वहीं बनी रहे। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत से पूरी दुनिया की उम्मीद बढ़ रही है और वैश्विक अर्थव्यवस्था के कमजोर होने के बाद भी भारत आर्थिक मोर्चे पर लंबी छलांग लगाने के करीब है। वैश्विक अनिश्चितता के बीच उभरती अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंक जमकर सोना खरीद रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन देशों के केंद्रीय बैंकों ने 2024 की पहली तिमाही में 290 टन सोना खरीदा है, जो दुनिया में सोने की कुल मांग का करीब एक चौथाई है।