दिल्ली के सभी अस्पतालों में हो फायर ऑडिट
नई दिल्ली। विवेक विहार में अवैध रूप से चल रहे बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में आग लगने नवजात बच्चों की मौत के मामले के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने सभी जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीडीएमओ) को निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम का औचक निरीक्षण करने का आदेश दिया है। इसलिए सभी सीडीएमओ निजी नर्सिंग होम में आग से बचाव के लिए गए उपायों का निरीक्षण करेंगे। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने यह जानकारी दी। उन्होंने सोमवार को इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसके बाद उन्होंने कहा कि सभी सरकारी व निजी अस्पतालों को आठ जून तक फायर ऑडिट कर कार्रवाई रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को सौंपने का निर्देश दिया गया है। पिछले 24 अप्रैल को ही सभी अस्पतालों को आग से बचाव की पुख्ता तैयारी करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद आठ मई को फायर ऑडिट करने का भी निर्देश दिया गया था।
नौ मीटर से कम ऊंचाई वाले अस्पतालों को नहीं होती फायर एनओसी की जरूरत
उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रविधानों के अनुसार, नौ मीटर से कम ऊंचाई वाले अस्पतालों को फायर की एनओसी की जरूरत नहीं होती। यही वजह है कि अस्पताल ने फायर की एनओसी नहीं ली थी। अब नौ मीटर से अधिक ऊंचाई वाले नर्सिंग होम को भी लगाने होंगे वाटर स्प्रिंकलर व स्मोक डिटेक्टर सिस्टम लगाना होगा। ताकि इस तरह की घटनाओं को टाला जा सके।
गलती होने पर डॉ. दास के खिलाफ भी होगी कार्रवाई
उन्होंने कहा कि दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा, चाहे कितना भी बड़ा आदमी हो। गलती पाए जाने पर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) के नर्सिंग होम सेल के पूर्व प्रभारी डॉ. आरएन दास के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने भाजपा के आरोपों को गलत बताया और कहा कि इस घटना से उनका नाम जोड़ने वालों पर वह कानूनी कार्रवाई करेंगे। अस्पताल को वर्ष 2021 में पांच बेड के नर्सिंग होम के लिए लाइसेंस जारी किया गया था। यह लाइसेंस मार्च 2024 में खत्म हो गया। अस्पताल संचालन ने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए फरवरी में आवेदन दिया था लेकिन ने दस्तावेजों की कमी के कारण अस्पताल संचालक को और जरूरी दस्तावेज सौंपने के लिए निर्देश दिए गए थे। आरोपित अस्पताल संचालक के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने पहले अगल-अलग दो मामले दर्ज कराए हैं। यह मामले कड़कड़डूमा व तीस हजारी कोर्ट में लंबित है। वह पश्चिम पूरी में भी इस तरह का अस्पताल चलाता था, जहां औचक निरीक्षण में कुछ कमियां पाए जाने के बाद एक मामला दर्ज कराया गया था। दूसरे मामले में बगैर पंजीकरण के अस्पताल चलाते हुए पकड़े गए थे तब मुकदमा हुआ था। उम्मीद है कि इन दोनों मामलों में भी अदालत का फैसला जल्द आएगा और आरोपित को सजा होगी।
अवैध ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिलिंग की हो रही है जांच
दिल्ली सरकार का कहना है कि अस्पताल के नीचे वाले तल पर अवैध रूप से ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिलिंग किए जाने का अंदेशा है। यह जांच की जा रही है कि इस कार्य के लिए स्वीकृति ली गई थी या नहीं। यह काम अस्पताल संचालक द्वारा ही किया जा रहा था या कोई और कर रहा था? बगैर स्वीकृति के ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिलिंग का काम नहीं किया जा सकता है। क्योंकि ऑक्सीजन से आग जल्दी भड़कती है। अस्पताल में आग लगने की घटना के बाद बच्चों को बचाने में अहम भूमिका निभाने वाली दो नर्सों व स्थानीय लोगों का नाम वीरता पुरस्कार के लिए सरकार भेजेगी।