बदलते समय के साथ रीति-रिवाज धीरे-धीरे बदलते जा रहे हैं. विद्वान और धार्मिक ग्रंथों के जानकारों के अनुसार शादी-विवाह का लग्न और मुहूर्त होता है. हिंदू धर्म में शादी- विवाह के लिए सही मुहूर्त का होना बेहद जरूरी माना जाता है. हालांकि, अब समय के साथ लोग प्रेम विवाह भी कर रहे हैं, लेकिन लोगों का मानना है कि प्रेम विवाह के रिश्तों के टूटने के मामले भी काफी ज्यादा होते हैं. इसके बाद पति-पत्नी दोनों को कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं.

धार्मिक ग्रंथो में सभी समस्याओं के निवारण लिखे हुए हैं. पंडित श्री धर्म श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि शादी विवाह करने के लिए लड़के और लड़की दोनों की कुंडली देखकर मुहूर्त और तारीख निकल जाती है. उसी मुहूर्त में विवाह का होना जरूरी होता है, लेकिन बदलते समय के साथ अक्सर मुहूर्त के बाद या पहले विवाह संपन्न होते हैं.

पंडित श्रीधर शर्मा शास्त्री बताते हैं कि बदलते समय के साथ प्रेम विवाह का प्रचलन बढ़ा है. प्रेम विवाह किसी मुहूर्त या लग्न में नहीं होने की वजह से अक्सर देखने को मिलता है कि ऐसे रिश्ते ज्यादा दिन नहीं टिकते और फिर पति-पत्नी दोनों कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते हैं.

श्रीधर शास्त्री बताते है कि जब भी कोई व्यक्ति शादी विवाह करे तो किसी विद्वान और शास्त्रों के जानकार को अपनी अपनी कुंडली दिखाकर विवाह का मुहूर्त निकलवाए. उसी मुहूर्त में ही अग्नि को साक्षी मानकर मंत्रो के उच्चारण के साथ विवाह संपन्न कराएं. ऐसा करने से जीवन में कभी भी दुख और परेशानियां नहींआती हैं और दांपत्य जीवन सदैव खुशहाल रहता है.

हालांकि, समय के साथ वैज्ञानिक सोच के युवा और युवतियों की संख्या भी बढ़ी है तो इस तरह के विवाहों के टूटने को वो मुहूर्त और अन्य कारणों की जगह मानवीय व्यवहार और स्वभाव का दोष मानते हैं.