दिल्ली की हवा और सड़कें होंगी बेहतर: सरकार लाएगी नई वेयरहाउसिंग पॉलिसी, मिलेगा फायदा

दिल्ली सरकार अपनी लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग पॉलिसी 2025 लाने की तैयारी में है. दावा किया जा रहा है कि ड्राफ्ट में पहले ही ऐसे कदम शामिल हैं, जो न केवल दिल्ली का ट्रैफिक जाम कम करेंगे बल्कि प्रदूषण घटाएंगे और व्यापार की कार्यक्षमता बढ़ाएंगे. सरकार डेडिकेटेड लॉजिस्टिक्स हब, ग्रीन फ्रेट कॉरिडोर और टेक्नोलॉजी आधारित समाधान लागू करने की दिशा में काम कर रही है. ये पहले ट्रैफिक कम करने, प्रदूषण घटाने और व्यापार करने में आसानी लाने का वादा करती हैं.
दिल्ली में हर दिन 10 लाख टन माल का लगभग 1.93 लाख वाहनों के जरिए आवागमन होता है, जिनमें से 21% वाहन ट्रैफिक से होकर गुजरते हैं. सबसे ज्यादा वाहन बिल्डिंग मटेरियल (4,132 वाहन/दिन), टेक्सटाइल (3,995), फल-सब्जियां (2,569) और खाद्य उत्पाद (2,468) लाते हैं, जबकि फार्मास्युटिकल (559) और ऑटोमोबाइल (588) भी ट्रैफिक से गुजरते हैं. सही वेयरहाउसिंग जोन न होने से ये वाहन शहर के अंदरुनी हिस्सों में आते हैं, जिससे प्रमुख मार्गों पर जाम और प्रदूषण बढ़ता है.
ड्राफ्ट पॉलिसी में क्या है
दिल्ली के उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि ड्राफ्ट पॉलिसी में वेयरहाउस को शहर की सीमा पर शिफ्ट करना, आधुनिक UCLDCs पर माल कंसॉलिडेट करना, और लास्ट माइल डिलीवरी के लिए इलेक्ट्रिक व CNG वाहनों का इस्तेमाल शामिल है. ये कदम आजादपुर, गाजापुर, नारायणा और करोल बाग जैसे हॉटस्पॉट्स पर जाम और प्रदूषण कम करने में मदद करेंगे.
आधुनिक लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम के लिए 16 एक्शन पॉइंट
आने वाली पॉलिसी 16 प्रमुख एक्शन पॉइंट्स पर आधारित है, जो दिल्ली के लॉजिस्टिक्स ढांचे को पूरी तरह बदल देंगे. मुख्य पहलें इस प्रकार हैं.
•24×7 संचालन के लिए मॉडल शॉप्स एक्ट में बदलाव.
•डिजिटल डिलीवरी मैनेजमेंट जिससे ट्रक मूवमेंट नियंत्रित हो और पीक ट्रैफिक घटे.
•पीपीपी मॉडल के तहत कमर्शियल पार्किंग एरिया और लोडिंग बे का निर्माण.
•UCLDCs का विकास जिससे कार्गो कंसॉलिडेट हो और अंतिम डिलीवरी साफ ईंधन वाले वाहनों से हो.
•ट्रेड और एस्टैब्लिशमेंट लाइसेंस का मर्जर ताकि वेयरहाउसिंग बिजनेस में आसानी हो.
ये सभी कदम ट्रक पार्किंग की कमी से लेकर पुराने फ्रेट हैंडलिंग सिस्टम तक की समस्याओं को खत्म करेंगे, जिससे दिल्ली की सप्लाई चेन अधिक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल बनेगी.
सब्सिडी और ग्रीन प्रोत्साहन
ड्राफ्ट पॉलिसी में उद्योगों के लिए कई तरह की सब्सिडी का प्रस्ताव है, जिससे स्थायी और सस्टेनेबल उपायों को अपनाने में मदद मिलेगी. इनमें शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों से वेयरहाउस शिफ्ट करने पर लीज पर जमीन में छूट, नई तकनीक अपनाने के लिए सब्सिडी, और कोल्ड चेन व स्टोरेज सुविधाओं के अपग्रेड के लिए वित्तीय सहायता शामिल है.
खास तौर पर, ग्रीन एनर्जी और इको-फ्रेंडली उपायों के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए जाएंगे- जैसे वेयरहाउस की छतों पर सोलर पैनल लगाना, इलेक्ट्रिक और CNG वाहनों का इस्तेमाल बढ़ाना, और ऊर्जा-कुशल बिल्डिंग डिज़ाइन अपनाना। ये कदम दिल्ली के जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप हैं और लॉजिस्टिक्स सेक्टर से होने वाले प्रदूषण को काफी कम करेंगे.
खामियों को दूर करना मकसद
पॉलिसी, जिसे उद्योग विभाग ने तैयार किया है, नियमों को सरल बनाने, एडवांस्ड लॉजिस्टिक्स टेक्नोलॉजी को जोड़ने और इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने पर केंद्रित है. इसका उद्देश्य सालों से चली आ रही खामियों को दूर करना है, जो दिल्ली की सप्लाई चेन को प्रभावित करती रही हैं.
AAP सरकार पर हमला
उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि पिछली सरकार की नीतियों की कमी ने दिल्ली के पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया. उन्होंने कहा ‘सालों तक राष्ट्रीय राजधानी जाम, अव्यवस्थित फ्रेट मूवमेंट और बढ़ते प्रदूषण से जूझती रही क्योंकि पिछली सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. व्यापारी पुराने सिस्टम से परेशान रहे. हमारी सरकार इस गलती को सुधार रही है एक ऐसी पॉलिसी के जरिए जो डेडिकेटेड लॉजिस्टिक्स हब बनाएगी, उत्सर्जन घटाएगी और व्यापार को आसान बनाएगी’.
‘यह एक गेम-चेंजर पॉलिसी है’
उन्होंने आगे कहा कि ‘यह एक गेम-चेंजर पॉलिसी है. इससे हमारा लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम ज्यादा साफ, तेज और प्रतिस्पर्धी बनेगा. व्यापारी लाभान्वित होंगे, आम लोग राहत की सांस लेंगे और दिल्ली टिकाऊ शहरी फ्रेट का नया मानक स्थापित करेगी’.मंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया कि अंतिम पॉलिसी तैयार करने में सभी हितधारकों और नागरिकों की राय शामिल की जाएगी.
मंत्री सिरसा ने कहा ‘हम चाहते हैं कि हर आवाज सुनी जाए चाहे वह बड़े लॉजिस्टिक्स खिलाड़ी हों या छोटे व्यापारी. सभी सुझावों को शामिल करने के बाद ही पॉलिसी को नोटिफाई किया जाएगा’.ड्राफ्ट पॉलिसी पर जनता और विभागों से सुझाव जल्द ही मांगे जाएंगे, ताकि अंतिम लागू करने से पहले यह प्रक्रिया सहभागी तरीके से पूरी हो सके।