रायपुर: विधानसभा के बजट सत्र में गुरुवार को दिव्यांग अधिकार अधिनियम के तहत सभी विभागों में पदों के चिन्हांकन का मुद्दा उठा। भाजपा विधायक प्रबोध मिंज ने पदों के चिन्हांकन अब तक नहीं होने पर आपत्ति जताई। उनके साथ नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत भी शामिल हुए। विधानसभा अध्यक्ष ने भी इस बात पर आश्चर्य जताया कि 9 साल बाद भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। उन्होंने मुख्य सचिव को छह माह में इसका समाधान निकालने के निर्देश दिए हैं। प्रश्नकाल के दौरान विधायक मिंज ने पूछा कि दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 में अब तक पदों का चिन्हांकन क्यों नहीं किया गया। इस पर मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा, नए अधिनियम में 21 तरह के दिव्यांग आ रहे हैं। 

सभी विभागों से राय ली जाती है। अभी 24 विभागों से राय आई है और 26 विभागों से आना बाकी है। राय आने के बाद पदों का चिन्हांकन किया जाएगा। विधायक ने कहा, इतने सालों से सिर्फ प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अब तक न तो पद चिन्हांकित हुए और न ही भर्ती हुई। यह संवेदनशील विषय है। यह दिव्यांगों के साथ अन्याय है। क्या आप अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे? इस पर मंत्री ने कहा, 2016 के अधिनियम के तहत भर्ती की जा रही है। सीधी भर्ती में दिव्यांगों को 7 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, 2016 से 2025 आ गया है। पदों के चिन्हांकन जैसी प्रक्रिया में 9 साल लग जाते हैं तो विभाग को संवेदनशील होना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने कहा कि दिव्यांगों के साथ यह व्यवहार अमानवीय है। यह उनके साथ विश्वासघात है।

खाद्य मंत्री वर्ष 2019 के सवाल में उलझी

विधायक भावना बोहरा ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को लेकर सवाल उठाए। उन्हें सत्ता पक्ष के अन्य सदस्यों का भी समर्थन मिला। इस दौरान मंत्री सवालों से घिरी नजर आईं। विधायक बोहरा ने पूछा कि वर्ष 2019 में कोविड के समय में भी पात्र लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिला। कई शिकायतें भी मिली हैं। क्या इसकी जांच कराई जाएगी? इस पर मंत्री गोलमोल जवाब देती नजर आईं।

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में हुआ भ्रष्टाचार: विपक्ष

प्रश्नकाल में मुख्यमंत्री कन्या विवाह का मुद्दा गूंजा। विपक्ष के विधायक संदीप साहू ने कहा, स्थानीय स्तर पर खरीदे गए सामान घटिया क्वालिटी के हैं। मंत्री राजवाड़े ने कहा, इस बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है। विधायक ने कहा, मेरी बात को शिकायत मानकर जांच कराई जाए। इस पर मंत्री ने कहा, हमारी सरकार में पारदर्शिता के साथ काम हो रहा है। विधायक साहू और विधायक कुंवर सिंह निषाद ने कहा, बालोद में एक ही स्थान पर 16 जोड़ों के विवाह पर 33 लाख रुपए खर्च किए गए। जबकि नियमानुसार एक जोड़े पर 50 हजार रुपए खर्च किए जाने हैं। इन सब चर्चाओं के बीच प्रश्नकाल समाप्त हो गया।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से लोक जैवविविधता पंजी तैयार नहीं करने और वेटलैंड स्थलों पर अपेक्षित कार्य नहीं करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है। इसे गंभीरता से लेना होगा। लोक जैवविविधता पंजी तैयार करने की जानकारी किसी को नहीं है। इस पर मंत्री केदार कश्यप ने कहा, सरकार जैव विविधता को लेकर गंभीर है। 12 हजार से अधिक निकायों में जैव विविधता रजिस्टर तैयार किया गया है। ग्राम पंचायतों में काम चल रहा है। इस दिशा में प्रगति कार्य चल रहा है। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने सदन में मौजूद मंत्रियों और विधायकों से भी इस बारे में पूछा, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, यह गंभीर मामला है। दिल्ली में जब विशेषज्ञों ने इसके लिए प्रशिक्षण दिया था, तब मैं मुख्यमंत्री के तौर पर उस कार्यक्रम में शामिल हुआ था। नेता प्रतिपक्ष ने इस मामले पर अलग से चर्चा करने का अनुरोध किया। 

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने मंत्री केदार कश्यप को जैव विविधता पर विशेषज्ञों के साथ कार्यशाला आयोजित करने के निर्देश दिए। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक अटल श्रीवास्तव ने महतारी वंदन योजना को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, बुजुर्ग महिलाओं को 500 रुपए काटकर पैसे दिए जा रहे हैं। इस पर मंत्री राजवाड़े ने कहा, हमारी सरकार ने एक हजार रुपए देने की बात कही थी। जो लोग पेंशन ले रहे हैं, उन्हें अंतर की राशि दी जा रही है। विधायक संगीता सिन्हा ने पूछा कि जिन महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, उनके लिए पोर्टल खोलने की क्या कार्ययोजना है। 

इस पर मंत्री ने कहा, इसकी चिंता करने के लिए हमारी सरकार है। आने वाले समय में हम इसकी चिंता करेंगे। पालना योजना पर घिरीं मंत्री: पालना योजना में खर्च की गई राशि को लेकर महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े सदन में घिर गईं। विपक्ष के सवालों का वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाईं। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष को हस्तक्षेप कर स्थिति संभालनी पड़ी। दरअसल, कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी ने पूछा कि फरवरी 2025 तक इस योजना में राशि क्यों नहीं खर्च की जा सकी। इस पर मंत्री ने बताया कि पहले वित्त विभाग से अनुमति नहीं मिली थी।