रीवा: जिले के सिरमौर विधानसभा क्षेत्र से दिल को छू जाने वाला एक मामला सामने आया है. यहां पर पदस्थ एक एसडीएम ने एसी कार्रवाई कर डाली जो काबिले तारीफ तो है ही, लोग अब एसडीएम आरके सिन्हा की इस कार्रवाई की मिशाल भी पेश कर रहे है. यहां पर रहने वाले बुजुर्ग दंपति को उनके बेटों ने खुद से अलग थलग कर दिया गया. दोनों बेटे न तो अपने बूढ़े माता-पिता की सेवा कर रहे थे और न ही उनके भरण के लिए उन्हें कोई सहायता राशि उपलब्ध करवा रहे थे.

इस मामले की भनक सिरमौर एसडीएम को लगी और जब वह बुजुर्ग दंपति से मिले तो उन्हें फटे हुए कपड़ों में देखकर भावुक हो गए. एसडीएम ने तत्काल पुलिस को एक पत्र जारी किया और दंपति के दोनों बेटो को न्यायालय में हाजिर होने के आदेश दे दिए.

बेटों ने नहीं दिया बुजुर्ग दंपति को भरण पोषण
मामले में एसडीएम आरके सिन्हा ने पुलिस को पत्र जारी करते हुए दोनों बेटों को एसडीएम न्यायालय में पेश में होने के साथ ही कार्रवाई करके जेल भेजने का चेतवानी दी. कार्रवाई के भय से बुजुर्ग दंपति के बेटों ने तत्काल 28-28 हजार का चेक सौंपा और बकाया राशि 31 मार्च तक देने के लिए मोहलत मांगी. न्याय पाकर बुजुर्ग दंपति की आंखे नम हो गई. जिसके बाद उन्होंने एसडीएम को धन्यवाद कहा. वहीं एसडीएम ने बुजुर्ग पिता को धोती, कुर्ता, श्रीफल व उनकी पत्नी के किए साड़ी देकर उनका सम्मान किया.


दो साल से बिना भरण पोषण के जीवन यापन कर रहा था दंपति
दरअसल, सिरमौर विधानसभा क्षेत्र के निवासी श्रीनिवास द्विवेदी के तीन पुत्र थे. बड़े पुत्र सीआईएसएफ में सेना के जवान थे और ड्यूटी के दौरान वह शहीद हो गए थे. दो पुत्र विनोद द्विवेदी और विजय द्विवेदी ने अपने बुजुर्ग माता-पिता के बुढ़ापे का सहारा बनने के बजाय उनसे दूरियां बना ली. कुछ समय बीता जिसके बाद वृद्ध माता-पिता को जीवन यापन करने में समस्या होने लगी. बेटों से भरण पोषण के लिए चंद पैसों की आस लगाकर बैठे बुजुर्ग दंपति एक-एक पैसों के लिए मोहताज हो गए. जिसके बाद उन्होंने अक्टूबर 2023 में एसडीएम कार्यालय में बेटों से भरण पोषण दिलाए जाने के लिए न्याय के गुहार लगाई.

एडीएम ने दिया था आदेश बेटो ने की थे अवहेलना
दो वर्ष पूर्व बूढ़े माता पिता की शिकायत मिलते ही एसडीएम सिरमौर ने दोनों बेटों को 2-2 हजार और विधवा पुत्र वधू को 500 रुपए हर महीने भरण पोषण के लिए देने के आदेश पारित किए, लेकिन इसके बावजूद भी बेटों ने एसडीएम के आदेश को अनदेखा किया. इसी तरह से दो वर्ष बीत गए, लेकिन कलयुगी पुत्रों का दिल नहीं पसीजा. उन्होंने अपने बूढ़े माता-पिता को एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी. जिसके बाद वह किसी कदर अपना जीवन यापन करते रहे.

बुर्जुग दंपत्ति के फटे हुए कपड़े देखकर एसडीएम हुए भावुक
बीते दिनों एक बार फिर बुजुर्ग दंपति दोनों बेटो की शिकायत सिरमौर एसडीएम के पास पहुंचे. एसडीएम ने तत्काल बुजुर्ग दंपति को एसडीएम कार्यालय बुलवाया. बूढ़े माता पिता को फटे हुए कपड़ों में देखते ही एसडीएम भावुक हो गए. मामले पर एसडीएम ने नाराजगी जताई. एसडीएम ने पुलिस को एक पत्र लिखकर दोनों बेटों को न्यायालय में पेश होने के आदेश जारी किए. बेटों को भरण पोषण देने के लिए कहा गया. ऐसा न करने पर एसडीएम ने उन्हें जेल भेजने की चेतावनी दी. जिसके बाद जेल जाने के डर से दोनों बेटों ने तत्काल बुजुर्ग दंपति को भरण पोषण के लिए 28-28 हजार का चेक दिया और बाकी का बकाया पैसा 31 मार्च तक देने की मोहलत मांगी. साथ ही पुत्र वधू को भी जल्द सारा पैसे देने की बात कही.

पिता को मिला न्याय तो छलक पड़े आंसू, हाथ जोड़कर रोए
वहीं एसडीएम से न्याय पाकर बुजुर्ग पिता भावुक हो गए और उनके आंखों से आंसू छलक पड़े. उन्होंने रोते हुए एसडीएम आरके सिन्हा का अभिवादन किया. वहीं एसडीएम ने दंपति को अंग वस्त्र और श्रीफल देकर उन्हें सम्मानित किया. मामले पर सिरमौर एसडीएम आरके सिन्हा ने कहा की "दो साल पहले शिकायत प्राप्त हुइ थी. जिसके बाद भरण पोषण अधिनियम के तहत बुजुर्ग श्रीनिवास द्विवेदी के दोनों बेटे विनोद द्विवेदी और विजय द्विवेदी को माता-पिता और पुत्र वधु के भरण पोषण के लिए एक राशि निर्धारित करते हुए प्रतिमाह 2-2 हजार और बहु को 500 रुपए देने के आदेश जरी किए गए. मगर उन लोगों ने आदेश की अवहेलना की. इसके बाद जब दोबारा कार्रवाई करते हुए जेल भेजने के बात कहीं गई तो वह पैसे देने के लिए राजी हो गए."


सहारा बनने के बजाय छोड़ देते हैं बेसहारा
माता-पिता बचपन से अपने बच्चों को पाल पोसकर बड़ा करते हैं. उन्हें उस लायक बनाते हैं कि वह बड़े होकर अपने बुजुर्ग माता पिता की सेवा करेंगे. मगर इस घोर कलयुग में कुछ ऐसे भी कलयुगी पुत्र हैं, जो अपने माता पिता की सेवा करना तो दूर उनके भरण पोषण के लिए आवश्यक राशि देने में भी परहेज करते हैं. जिसके चलते या तो उन्हें वृद्धाआश्रम का सहारा लेना पड़ता है या फिर उन्हें दर-दर की ठोकर खानी पड़ती है.

एसडीएम की एक पहल से बूढे मां बाप को मिली जीने की आस
श्रीनिवास और उनकी पत्नि भी उन्हीं माता-पिता में से एक है. पैरो से दिव्यांग श्रीनिवास का एक बड़ा बेटा देश की सेवा करते हुए शहीद हो गया, तो दो छोटे बेटों ने बुढ़ापे में उनका सहारा बनने के बजाय उन्हें खुद से अलग करते हुए एक एक पाई के लिए मोहताज कर दिया.