जयपुर: राजस्थान विधानसभा में राजस्थान विश्वविद्यालय विधि संशोधन विधेयक-2025 पर चर्चा के दौरान कई विधायकों ने कुलपतियों की नियुक्तियों को लेकर सरकार से कड़े सवाल पूछे. निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कुलपति नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि जो बड़ा ब्रीफकेस देता है, उसे ही कुलपति बना दिया जाता है. रविंद्र भाटी ने कहा कि विश्वविद्यालयों की यही स्थिति रही तो उच्च शिक्षा का स्तर गिरता रहेगा. उन्होंने सरकार से मांग की कि खाली पड़े प्रोफेसरों के पदों को जल्द भरा जाए और विश्वविद्यालयों में पारदर्शिता लाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।  

'जो बड़ा ब्रीफकेस लेकर आते हैं, वही कुलपति बन जाते हैं'- भाटी

बहस के दौरान निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कुलपति नियुक्तियों पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि राजस्थान में विश्वविद्यालयों की स्थिति दयनीय होती जा रही है और योग्य शिक्षाविदों को कुलपति बनने का मौका नहीं मिल रहा है. भाटी ने कहा कि आज कुलपति कैसे नियुक्त हो जाते हैं? जो बड़ा ब्रीफकेस लेकर आता है, उसे ही कुलपति बना दिया जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग इस पद के लायक नहीं हैं। कुलपति और रजिस्ट्रार को सिर्फ अपना कार्यकाल पूरा करना होता है। वे तीन साल में पैसा इकट्ठा करने की कोशिश करते हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति को खत्म किया जा रहा है और इसके लिए हम 200 विधायक जिम्मेदार हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि मंत्री सर्किट हाउस में बैठने की बजाय विश्वविद्यालयों का दौरा करें, कुलपतियों और छात्रों के साथ बैठक करें, विश्वविद्यालयों को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाएं। भाटी ने सवाल उठाया कि हमारे विश्वविद्यालयों को कौन बचाएगा? क्या सरकार सिर्फ नाम बदलकर शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने का दिखावा कर रही है? अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाली पीढ़ी का क्या होगा? उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मंत्री सर्किट हाउस में बैठने की बजाय विश्वविद्यालयों का दौरा करें और कुलपतियों के साथ बैठकर शैक्षिक सुधारों पर चर्चा करें। 

नाम बदलने पर सुभाष गर्ग ने उठाए सवाल

बहस में भाग लेते हुए विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने कुलपति का नाम बदलकर कुलगुरु करने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ नाम बदलने की राजनीति कर रही है, जबकि शिक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नहीं किया जा रहा है। गर्ग ने सुझाव दिया कि अगर कुलपति को कुलगुरु कहना है तो विश्वविद्यालयों के नाम भी बदलकर उन्हें 'गुरुकुल' कहना चाहिए। कुलपति की जगह कुलगुरु कहने का क्या औचित्य है? उन्होंने पूछा कि राजस्थान के शिक्षाविदों को कुलपति बनने के अवसर क्यों नहीं मिल रहे हैं? विश्वविद्यालयों की स्थिति सुधारने के लिए शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार की जरूरत है। उन्होंने यह भी मांग की कि कुलपति की योग्यता स्पष्ट की जाए और उनकी नियुक्तियों में पारदर्शिता लाई जाए।