रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि आतंकवाद एक गतिशील और उभरती चुनौती बनी हुई है। इसके खतरे लगातार सीमाओं को पार कर रहे हैं। आतंकवादी संगठन उन्नत प्रौद्योगिकी, साइबर उपकरण और मानव रहित प्रणालियों का उपयोग कर रहे हैं। इससे निपटने के लिए एक सुसंगत, दूरदर्शी और कार्रवाई-उन्मुख दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा आतंकवाद के प्रति भारत अपनी जीरो टालरेंस की नीति पर अडिग है।

भारत आतंकवाद के प्रति अपनी जीरो टालरेंस की नीति पर अडिग
बुधवार को नई दिल्ली में आतंकवाद-रोधी मुद्दों पर आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक (एडीएमएम)-प्लस विशेषज्ञ कार्य समूह (ईडब्ल्यूजी) की 14वीं बैठक में मुख्य भाषण के दौरान उन्होंने कहा, ''भारत आतंकवाद के प्रति अपनी जीरो टालरेंस की नीति पर अडिग है। भारत ऐसे दृष्टिकोण में विश्वास करता है जिसमें मजबूत घरेलू तंत्र, खुफिया जानकारी साझा करना और मजबूत क्षेत्रीय सहयोग शामिल हो।''

रक्षा सचिव ने कहा कि भारत-प्रशांत क्षेत्र अपने भू-राजनीतिक और आर्थिक महत्व के कारण सीमाओं के परे पांव पसार रहे आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की दृष्टि से विशेष रूप से संवेदनशील है। इसके लिए एक व्यापक, अनुकूल और गहन सहयोगात्मक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।

उभरते खतरों से प्रभावी ढंग से निपट रहा भारत
राजेश कुमार सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि एडीएमएम-प्लस प्लेटफार्म के माध्यम से भारत रक्षा बलों, सुरक्षा एजेंसियों और नीतिगत ढांचों के बीच तालमेल बनाना चाहता है, ताकि उभरते खतरों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।

पारिस्थितिक तंत्र कमजोर हो रहे हैं
उन्होंने कहा, ''इस तेज रफ्तार दुनिया में सामाजिक और पारिस्थितिक तंत्र कमजोर हो रहे हैं। इस जोखिम का आकलन करना महत्वपूर्ण है ताकि प्राथमिकता निर्धारण और निर्णय लेने में सरकारों को सशक्त बनाया जा सके।''