गुरुग्राम के डीएलएफ फेज-एक से लेकर फेज-पांच तक लगभग पांच हजार मकानों को सील करने का आदेश दिया गया है. यह निर्णय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा 2021 में दायर एक याचिका पर सुनाया गया है, जिसमें नक्शे और कब्जा प्रमाणपत्र के उल्लंघन का मामला उठाया गया था. न्यायमूर्ति सुरेशवर ठाकुर और विकास सूरी ने हरियाणा सरकार को दो महीने के भीतर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

हरियाणा सरकार को 19 अप्रैल तक उच्च न्यायालय में कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करनी होगी. यह आदेश उस समय आया है जब डीएलएफ फेज-तीन की आरडब्ल्यूए ने नियमों के उल्लंघन की शिकायत की थी. डीएलएफ फेज-तीन में कई मकान छह से सात मंजिल के बन गए हैं और यहां व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन हो रहा है. शिकायत के बावजूद नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे स्थानीय निवासियों में असंतोष बढ़ गया.

हाईकोर्ट ने दो महीने में मामले का निपटारा करने का दिया आदेश 
गत आठ जनवरी को डीएलएफ फेज-पांच में डीएलएफ प्रबंधन और मकान मालिकों के बीच विवाद उत्पन्न हुआ. प्रबंधन ने नियमों के उल्लंघन के कारण इन मकानों का पानी और सीवर कनेक्शन काट दिया. इस पर एडवोकेट सतपाल यादव ने कहा कि जिन लोगों ने नियमों का पालन किया है, उन्हें बुनियादी सुविधाएं मिलनी चाहिए. डीटीपीई कार्यालय के कारण बताओ नोटिस पर जिला अदालत ने 172 मकानों पर कार्रवाई को रोक दिया था. अब हाईकोर्ट ने दो महीने में मामले का निपटारा करने का आदेश दिया है.

डीएलएफ फेज-एक से पांच तक कई मकानों में पीजी और गेस्ट हाउस
डीएलएफ फेज-एक से पांच तक कई मकानों में पीजी और गेस्ट हाउस चल रहे हैं, जिससे आसपास के निवासियों को परेशानी हो रही है. इन गेस्ट हाउसों का उपयोग शादी पार्टियों के लिए भी किया जाता है, जिससे स्थानीय लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है. डीएलएफ फेज-तीन में ईडब्ल्यूएस वर्ग के 3124 प्लॉट हैं, जिनमें से 2289 मकानों में नक्शे और कब्जा प्रमाणपत्र का उल्लंघन पाया गया है. डीटीपीई कार्यालय ने 2245 मकानों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.